मंगलवार, 22 जून 2010

कागज़ की नाव (बालकविता )

डगमग डोले डगमग डोले
पानी ऊपर नाव रे
सखी सहेली आवो देखो
कागज़ की ये नाव रे !
पानी बरसा तनमन हर्षा
खुशियों का इन्द्रधनुष खिला
तट के उस पार लिए चली
सुंदर सपनोंका संसार रे
कागज़ की ये नाव रे !
तुफानोंसे ना ये घबराएँ
लहरों पर इतराती जाए
बिना मोल की विहार कराये
देखों कैसी इसकी शान रे
कागज़ की ये नाव रे !
गीत मेरे सुर तुम्हारे
भोला बचपन लौट न आये
आओ सब मिलजुलकर गाये
नाचो देकर ताल रे
डगमग डोले- डगमग डोले
पानी ऊपर नाव रे
कागज ये नाव रे !

कोई टिप्पणी नहीं: