गुरुवार, 1 नवंबर 2012

हम भी महक ले जरा .....

चाँद ,
महक तुम्हारी
बढ़ जायेगी खास
फलक पर आ
हम भी महक
ले जरा ...

जी भर कर
निहार लेंगे
तूम  भी
निहार लो
हमे  जरा ....

आज
बादलों में क्यों
छूप गये हो तूम
स्याह बादल
हटाओ जरा ....

7 टिप्‍पणियां:

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही अच्छी कविता |ब्लॉग पर टिप्पणी करने हेतु आभार

सदा ने कहा…

वाह ... बहुत खूब।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

पास आओ ... थोड़ी चांदनी से हम भी गुफ्तगू कर लें

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर,, प्यारी रचना..
:-)

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Sunder....

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर रचना |
मेरे ब्लॉग में भी पधारें |

Asha Joglekar ने कहा…

वाह चांद महकता हुआ महकाता हुआ । बढिया ख्याल सुमनजी ।